Monday 18 February, 2013

"मैं देश की पीएम बनना चाहती हूं"



"मैं देश की पीएम (प्रधानमंत्री) बनना चाहती हूं" कार्तिका की जि़ंदगी के बारे में जानने के बाद उसके मुंह से ये बात सुन कर शायद किसी को हंसी आती, लेकिन मुझे नहीं आई। मैंने सपनों की ताकत को देखा है और महसूस किया है।
आपको बता दूं कि देश की प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाली कार्तिका एक मज़दूर महिला की बेटी है। उसकी मां पलनी अम्मा कर्नाटक में पत्थर तोडऩे का काम करती है। कमाई, यही कोई पचास रुपए प्रति दिन और हफ्ते में 3-4 दिन ही काम मिलता है।

कार्तिका 'जि़ंदगी लाइव' में आई क्योंकि एक गरीब मज़दूर महिला की इस बेटी को देश के एक बड़े लॉ कालेज में दाखिला मिल गया था। जी हां, वो वकालत की पढ़ाई करने जा रही थी। अपनी मां का सिर ऊंचा करने जा रही थी। मां के संघर्ष को खत्म करने का इंतज़ाम करने जा रही थी। सबसे ज़्यादा वो अपनी मां के त्याग-बलिदान का इनाम लेने जा रही थी। कार्तिका सिर्फ  5 साल की थी जब पलनी अम्मा ने उसको अपने से दूर भेज दिया। गरीबी और  तंगी की दुनिया से बहुत दूर। बैंगलोर में शांति भवन नाम के एक स्कूल में जहां कार्तिका रहती, पढ़ती, अंग्रेज़ी में बात करना सीखती, सभ्य समाज के व्यवहार अपनाती। कार्तिका की मां के लिए ये फैसला आसान नहीं था। अपनी बच्ची को कुछ अनजान हाथों में सौंप देना एक मां के लिए कैसे आसान हो सकता है और वो जानती थी कि उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो बार बार अपनी बेटी से मिलने जा पाए।  वो चाहती तो कार्तिका को मज़दूरी पर लगा कर ज़्यादा पैसे कमा सकती थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने अपनी लाड़ली को एक 'बेहतर' जि़ंदगी देने का निश्चय किया।

5 साल की कार्तिका के अगले कुछ साल बैंगलोर के शांति भवन में गुजऱे। दिल लगा कर पढ़ाई की। बहुत कुछ सीखा। जो बच्ची अगर अपने गाँव में ही रहती तो शायद पत्थर तोडऩे के अलावा किसी काम के बारे में जान भी नहीं पाती, उस बच्ची ने ऊंची शिक्षा और बड़ी बड़ी नौकरियों के बारे में जाना। सच कहूं तो जब कार्तिका मेरे सामने आई और मुझसे बातें की तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि मेरे सामने जो लड़की बैठी है, वो एक गरीब अनपढ़ मज़दूर मां की बेटी है। कार्तिका से ज़्यादा मुझे उसकी मां को सलाम करने का मन हुआ। मेरा वो विश्वास एक बार फि पक्का हो गया कि अगर एक मां ठान ले तो उसकी बेटी को आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता। उसकी बेटी के पंख कोई नहीं कतर सकता। एक मां अगर हर कदम पर बेटी का साथ देने की ठान ले तो उसकी बेटी पर किसी तरह का ज़ुल्म नहीं हो सकता। अगर हर मां ये तय कर ले कि चाहे कुछ हो जाए वो गर्व के साथ एक बेटी को जन्म देगी तो हमारे देश में कोख में पल रही बच्चियों की हत्याएं रुक जाएं। काश हर मां कार्तिका की मां की तरह बन जाए। काश हर मां मेरी मां की तरह बन जाए तो देश की हर लड़की अपना हर सपना पूरा कर ले। जैसे मैंने किए, जैसे कार्तिका करने जा रही है। वकील बनने का सपना और मुझे हैरानी नहीं होगी अगर वो एक दिन इस देश की प्रधानमंत्री भी बन गई अगर बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बन सकते हैं तो कार्तिका भारत की प्रधानमंत्री क्यों नहीं ?

मेरी दुआएं कार्तिका के साथ हैं कि वो एक बहुत काबिल वकील बने, अपनी मां का नाम रोशन करे, खूब तरक्की करे और एक दिन प्रधानमंत्री बनने का अपना सपना पूरा करे। मेरी दुआएं ऐसी हर लड़की के साथ है जो बड़े बड़े सपने देखना जानती है, उन सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करना जानती है।

(लेखिका आईबीएन-7 न्यूज़ चैनल की वरिष्ठï  पत्रकार हैं।)

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