Monday 3 June, 2013

32% को ही पेयजल उपलब्ध

पंकज कुमार

देश के 206 जिलों में लगातार गिर रहा है भू-जलस्तर 


महोबा/बलिया (उत्तर प्रदेश)। बुंदेलखंड के महोबा जिले के बबेरू गाँव के परशुराम को पीने का पानी लेने जाने के लिए 2-3 किमी तक दूर जाना पड़ता है। 
वह कहते हैं, ''अगर हमारे यहां पानी की समस्या दूर हो जाए तो बाकी की समस्याएं अपने आप ही खत्म हो जाएंगी। हमारे गाँव में बहुत से ऐसे लोग हैं जो आज भी तालाब और गड्ढो  का पानी पीते हैं।"

यह समस्या केवल बुंदेलखंड के परशुराम की ही नहीं है, बल्कि देश के 68 फीसदी परिवारों की है, जिनके पास शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं है। मात्र 32 फीसदी परिवारों को ही शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो पाता है। आजादी के समय प्रत्येक व्यक्ति के हिस्से में 5,236 घन मीटर पानी था। जो कि आज कम होकर सिर्फ 1700-1800 घन मीटर रह गया है। आज देश के कुल 6 लाख 41 हजार गाँवों में से करीब 2 लाख 35 हजार गाँव  पानी की समस्या से त्रस्त हैं। साल 2001 की जनगणना के अनुसार देश में केवल              19.2 करोड़ परिवारों में से केवल 7.4  करोड़ मतलब 38 प्रतिशत परिवारों के              पास ही पेयजल उपलब्ध था, जोकि साल 2011 की जनगणना में यह कम होकर अब केवल 32 प्रतिशत परिवारों के पास ही रह गया है।

बड़े-बड़े शहरों से लेकर छोट-छोटे गाँवों में भी अब पीने के पानी की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है। दिल्ली में जहां लोग खरीद कर पानी पी रहे हैं, वहीं, उत्तर प्रदेश के बलिया, मऊ और आसपास के जिलों में पीने के पानी में आर्सेनिक की अधिकता से लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। बलिया जिले के भीमपुरा ग्राम के पवन शर्मा कहते हैं, ''हैंडपंप से पानी निकालने के करीब एक घंटे बाद ही वो पीला हो जाता है। हमारे गाँव में पानी की वजह से बीमारियां बढ़ती ही जा रही हैं।"

देश में भू-जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़े काफी चिंताजनक तस्वीर पेश करते है। इसके  अनुसार उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कुल 819 ब्लॉक हैं , जिनमें 85 'डार्क', 214 'ग्रे' जोन में हैं। उत्तर प्रदेश के 9 जिलों (फर्रुखाबाद, फतेहपुर, हरदोई, कानपुर देहात, कानपुर  नगर, लखनऊ, रायबरेली, इलाहाबाद और इटावा) में भू-जलस्तर प्रति वर्ष 20 सेंटीमीटर नीचे गिरता जा रहा है। साल 1996 से 2006 के बीच उत्तर प्रदेश के 461 विकास खंडो में भू-जलस्तर गिरा है। वहीं, के न्द्रीय भूजल बोर्ड के अनुसार देश के 593 जिलों में से 206 जिलों में भूजलस्तर लगातार गिर  रहा है।

भारत हर वर्ष औसतन 114 सेमी से अधिक वर्षा होती है, फिर भी देश का एक बड़ा हिस्सा सूखे की चपेट में ही रहता है। 

देश में बढ़ते जलसंकट पर भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ एसबी मिश्र कहते हैं, ''देश में पानी के प्रबंधन में ही खामियां है। बारिश का  अधिकतर पानी पुन: नदियों में ही बह जाता है। जो जल सतह पर बच जाता है वो भी संरक्षित नहीं हो पता है। हम बारिश के पानी का मात्र 4-5 प्रतिशत ही उपयोग कर पाते है।" वह आगे कहते हैं,''सरकार को चाहिए कि वो उचित जल प्रबंधन करे। हालांकि सरकार ने मनरेगा के तहत गाँवों में तालाब खुदवाएं हंै, लेकिन उसमे भी बहुत सी खामियां हैं । सरकार को चाहिए की वो वैज्ञानिकों की सलाह से जल प्रबंधन के लिए ठोस कदम उठाए।"

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